
पंचायत भवन में लगा ताला, प्रधान के घर
में चल रही है पंचायत की सारी योजनाएं
पंकज चौबे सिद्धार्थनगर
गांव के लोगों को आय, जाति या अन्य प्रमाणपत्र बनवाने के लिए तहसील या ब्लॉक का चक्कर न लगाना पड़े, इसके लिए शासन ने हर ग्राम पंचायत में पंचायत भवन का निर्माण कराया है। प्रति पंचायत भवन पर 15 से 22 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। पंचायत सहायक भी नियुक्त किए गए हैं लेकिन इसका लाभ आम लोगों को नहीं मिल रहा है। हालत यह है कि अधिकतर पंचायत भवनों पर ताले लटक रहे हैं। ग्राम प्रधान अपने साथ झोले में मुहर और अन्य कागजात रखते हैं और जरूरत पड़ने पर किसी प्रमाणपत्र जारी कर देते हैं।सरकार की मंशा पंचायत भवन को विकसित करना है, जहां ग्रामीणों की फरियाद सुनकर उनकी समस्याएं दूर की जा सकें। ग्राम पंचायत के कार्यों को आसान बनाने के लिए पंचायत सहायकों की नियुक्ति भी की गई। इसके बाद भी पंचायत भवनों की स्थिति यथावत है। हिन्दी दैनिक बुद्ध का सन्देश की टीम ने शोहरतगढ़ के मडवा ग्राम पंचायत की पड़ताल की तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई। जहां से विकास विभाग की योजनाएं चलती हैं वहीं के पंचायत भवनों में ताला लटकता मिला। वहां के पंचायत सहायक सुजाता गिरी से उनके नंबर पर बात करने पर उन्होंने बताया कि पंचायत भवन की चाभी व कम्प्यूटर सिस्टम आदि प्रधान के घर पर रखा है उन्हें भुगतान व कार्य के बारे में जानकारी नहीं है जो कार्य ब्लॉक से मिलता है वहीं कार्य करते है, पंचायत भवन पर जाकर हाजिरी लगा देती हैं।वहीं वहां के सचिव से उनके मोबाइल पर सम्पर्क करने की कोशिश की लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ